The 5-Second Trick For Hindi poetry
The 5-Second Trick For Hindi poetry
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क्या कहते हो, शेख, नरक में website हमें तपाएगी ज्वाला,
जग चिंताओं से रहने को मुक्त, उठा लेता प्याला,
अब तो कर देती है केवल फ़र्ज़ -अदाई मधुशाला।।६५।
रंक राव में भेद हुआ है कभी नहीं मदिरालय में,
बने ध्यान ही करते-करते जब साकी साकार, सखे,
मिले न मंदिर, मिले न मस्जिद, मिल जाती है मधुशाला।।४७।
पढ़े मर्सिया दुनिया सारी, ईद मनाती मधुशाला।।२५।
भरकर अब खिसका देती है वह मेरे आगे प्याला,
चलने ही चलने में कितना जीवन, हाय, बिता डाला!
ज्ञात हुआ यम आने को है ले अपनी काली हाला,
दर्द नशा है इस मदिरा का विगत स्मृतियाँ साकी हैं,
भग्न हुआ जाता दिन प्रतिदन सुभगे मेरा तन प्याला,
अपने अंगूरों से तन में हमने भर ली है हाला,
देव अदेव जिसे ले आए, संत महंत मिटा देंगे!
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